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कुत्तों में सिनोमोस (Canine Distemper) – संपूर्ण जानकारी मार्गदर्शिका

  • लेखक की तस्वीर: VetSağlıkUzmanı
    VetSağlıkUzmanı
  • 15 नव॰
  • 21 मिनट पठन

कुत्तों में सिनोमोस क्या है

कुत्तों में सिनोमोस (Canine Distemper) एक अत्यंत खतरनाक, तेजी से फैलने वाला और बहु-सिस्टम को प्रभावित करने वाला वायरल रोग है, जो Canine Morbillivirus नामक वायरस के कारण होता है। यह वायरस मनुष्यों में पाए जाने वाले खसरा (Measles) वायरस के करीबी परिवार का सदस्य है, इसलिए इसकी संक्रमण क्षमता अत्यंत अधिक होती है और यह एक बार शरीर में प्रवेश करने के बाद कई महत्वपूर्ण अंगों पर तेज़ी से असर डालता है।

यह बीमारी मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रणालियों को प्रभावित करती है:

  • श्वसन तंत्र (Respiratory System)

  • पाचन तंत्र (Gastrointestinal System)

  • तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System)

  • प्रतिरक्षा तंत्र (Immune System)

वायरस कुत्ते के शरीर में प्रवेश करने के बाद पहले लिम्फ नोड्स में बढ़ता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है। इसके बाद यह रक्त के माध्यम से पूरे शरीर में फैलकर विभिन्न अंगों को संक्रमित करता है। यही कारण है कि सिनोमोस के लक्षण बेहद विविध होते हैं और रोग की गंभीरता तेजी से बढ़ सकती है।

सिनोमोस इतना खतरनाक क्यों है?

  1. तेज़ी से फैलना:सर्दी-जुकाम की तरह सांस के जरिए फैलता है। संक्रमित कुत्ते के छींकने, खांसने या आंख-नाक के स्राव से वायरस हवा में फैल जाता है।

  2. बहु-सिस्टम संक्रमण:एक ही समय में फेफड़े, आंत, मस्तिष्क और आंखें प्रभावित हो सकती हैं—यह किसी भी साधारण बीमारी से कहीं अधिक गंभीर है।

  3. उच्च मृत्यु दर:खासकर 6 महीने से कम उम्र के पिल्लों में मृत्यु दर बहुत अधिक है।कमजोर प्रतिरक्षा वाले वयस्क कुत्तों में भी रोग तेजी से बिगड़ सकता है।

  4. स्थायी तंत्रिका क्षति:यदि वायरस मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी तक पहुंच जाए, तो कंपकंपी, झटके, दौरे, संतुलन बिगड़ना और चलने-फिरने में कठिनाई जैसी समस्याएँ जीवन भर रह सकती हैं।

सिनोमोस कैसे शुरू होता है?

रोग अक्सर हल्के लक्षणों से शुरू होता है:

  • हल्का बुखार

  • आंखों से पानी आना

  • नाक बहना

  • हल्की खांसी

  • सुस्ती और भूख में कमी

ये शुरुआती लक्षण कई बार सामान्य सर्दी जैसे लगते हैं, इसलिए कई मालिक शुरुआत में सिनोमोस को पहचान नहीं पाते। लेकिन अंदर ही अंदर वायरस तेजी से फैल रहा होता है और अगले चरण में अधिक गंभीर समस्याएँ उभरने लगती हैं।

रोग उन्नत स्तर पर कैसे पहुँचता है?

संक्रमण बढ़ने के साथ:

  • नाक और आंखों का स्राव गाढ़ा और मवाद जैसा हो जाता है

  • गंभीर खांसी और सांस लेने में कठिनाई

  • उल्टी, खूनी दस्त और तेजी से वजन कम होना

  • तंत्रिका संबंधी लक्षण (कंपकंपी, पैरों में कमजोरी, दौरे)

  • पैरों के तलवे सख्त और मोटे हो जाना (Hard Pad Disease)

तंत्रिका तंत्र के प्रभावित होने के बाद रोग का उपचार और अधिक कठिन हो जाता है, और अक्सर यही चरण कुत्तों के लिए सबसे अधिक खतरनाक होता है।

वैक्सीन से बचाव क्यों सबसे महत्वपूर्ण है?

सिनोमोस एक ऐसी बीमारी है जिसका कोई सीधा इलाज नहीं है—इसलिए इसका सबसे प्रभावी बचाव है सही और समय पर टीकाकरण (DHPP/DA2PP)।दुनिया भर में पाए जाने वाले गंभीर मामलों का अधिकांश हिस्सा उन कुत्तों में देखा जाता है जो:

  • टीकाकरण नहीं कराए गए

  • वैक्सीन की श्रृंखला अधूरी छोड़ी गई

  • रेस्क्यू या स्ट्रे डॉग हैं जिनका कोई मेडिकल इतिहास नहीं है

समय पर लगाया गया एक वैक्सीन आपके कुत्ते को इस घातक बीमारी से लगभग पूरी तरह से बचा सकता है।

Köpek Gençlik Hastalığı (Distemper)

कुत्तों में सिनोमोस के प्रकार

सिनोमोस एक ऐसा रोग है जो केवल एक प्रकार से प्रकट नहीं होता, बल्कि कई अलग-अलग क्लिनिकल रूपों में विकसित हो सकता है। कई बार एक कुत्ते में एक साथ कई प्रकार दिखाई देते हैं, जिससे बीमारी का निदान और उपचार अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

1. श्वसन प्रकार (Respiratory Form)

यह अक्सर रोग का पहला चरण होता है और शुरू में सामान्य श्वसन संक्रमण जैसा लगता है:

  • साफ नाक बहना (जो बाद में गाढ़ा और पीला/हरा हो जाता है)

  • लगातार खांसी

  • सांस लेने में कठिनाई

  • फेफड़ों में संक्रमण (वायरल या बैक्टीरियल)

यह रूप तेजी से बिगड़कर निमोनिया में बदल सकता है।

2. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रकार (GI Form)

जब वायरस आंतों और पेट पर हमला करता है:

  • उल्टी

  • पानी जैसा या खूनी दस्त

  • तेज़ी से वजन घटाना

  • निर्जलीकरण

  • इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन

पिल्लों में यह रूप अत्यंत खतरनाक है और 24–48 घंटों में गंभीर स्थिति में बदल सकता है।

3. तंत्रिका प्रकार (Neurological Form)

यह सिनोमोस का सबसे खतरनाक और अक्सर अंतिम चरण होता है:

  • निरंतर कंपकंपी या मांसपेशी झटके

  • संतुलन बिगड़ना

  • पैरों में कमजोरी

  • चक्कर खाकर चलना

  • दौरे और आक्षेप

  • आंशिक या पूर्ण पक्षाघात

तंत्रिका तंत्र में हुए नुकसान का पूर्ण उपचार संभव नहीं होता।

4. त्वचा तथा पंजों का प्रकार (Hard Pad Disease)

उन्नत मामलों में:

  • पंजों के तलवे सख्त और मोटे हो जाते हैं

  • चलने में दर्द होता है

  • नाक की त्वचा सूखकर मोटी हो जाती है

5. सबक्लिनिकल / माइल्ड फॉर्म

कुछ कुत्तों में बीमारी हल्के रूप में दिखाई देती है:

  • हल्की खांसी

  • थोड़ी सुस्ती

  • हल्का बुखार

लेकिन समय के साथ, प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर स्थिति अचानक गंभीर हो सकती है।

Köpek Gençlik Hastalığı

कुत्तों में सिनोमोस होने के कारण और संक्रमण के स्रोत

सिनोमोस एक अत्यंत संक्रामक वायरल रोग है और इसका प्रसार इतने बड़े पैमाने पर इसलिए होता है क्योंकि वायरस विभिन्न माध्यमों से आसानी से फैल सकता है। वायरस शरीर में प्रवेश करते ही प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है, जिसके कारण संक्रमित कुत्ता न केवल स्वयं गंभीर रूप से बीमार हो जाता है, बल्कि वायरस को तेज़ी से अन्य कुत्तों तक भी फैला सकता है।

1. हवा के माध्यम से संक्रमण (Airborne Transmission)

यह सिनोमोस का सबसे आम और ख़तरनाक तरीका है।जब संक्रमित कुत्ता खांसता, छींकता या जोर से सांस लेता है, तब उसके द्वारा छोड़ी गई सूक्ष्म बूंदों में वायरस होता है।ये बूंदें हवा में कुछ समय तक तैरती रहती हैं और निकट के स्वस्थ कुत्ते को संक्रमित कर सकती हैं।

उच्च जोखिम वाली जगहें:

  • डॉग शेल्टर

  • पेट शॉप

  • डॉग होस्टल / बोर्डिंग

  • ब्रीडिंग सेंटर

  • भीड़भाड़ वाले पार्क

इन जगहों पर एक ही संक्रमित कुत्ता दर्जनों को संक्रमित कर सकता है।

2. संक्रमित तरल पदार्थों के संपर्क से संक्रमण

वायरस निम्नलिखित शरीर द्रवों में बड़ी मात्रा में पाया जाता है:

  • आंख और नाक का स्राव

  • लार

  • उल्टी

  • दस्त

  • मूत्र

कुत्ता जब किसी सतह को सूंघता, चाटता या छूता है तो वह वायरस के संपर्क में आ सकता है।

3. वस्तुओं और सतहों के माध्यम से संक्रमण (Fomites)

हालांकि वायरस लंबे समय तक जीवित नहीं रहता, लेकिन यह पर्याप्त समय तक सक्रिय रह सकता है कि संक्रमण फैला सके।

संक्रमण फैलाने वाले सामान्य माध्यम:

  • पानी और खाना खाने के बर्तन

  • खिलौने

  • बिस्तर, कंबल

  • ग्रूमिंग उपकरण

  • इंसानों के जूते, कपड़े, हाथ

एक घर में अगर एक कुत्ता बीमार हो जाए तो अन्य कुत्तों के संक्रमित होने का जोखिम बहुत बढ़ जाता है।

4. मां से बच्चों में संक्रमण (Vertical Transmission)

यदि गर्भवती मादा कुत्ता संक्रमित है या टीकाकरण नहीं करवाया:

  • गर्भावस्था के दौरान

  • जन्म के समय

  • जन्म के तुरंत बाद

वायरस पिल्लों में प्रवेश कर सकता है।ऐसे पिल्लों की मृत्यु दर अत्यंत ऊंची होती है।

5. कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली

कमजोर प्रतिरक्षा वाले कुत्तों में बीमारी तेजी से फैलती है।

जिन स्थितियों में संक्रमण का जोखिम ज्यादा होता है:

  • कुपोषण

  • परजीवी संक्रमण

  • तनावपूर्ण वातावरण

  • पहले से मौजूद रोग

  • पुराने या कमजोर कुत्ते

6. टीकाकरण की कमी

विश्व स्तर पर भारी संख्या में गंभीर सिनोमोस के मामले उन कुत्तों में पाए जाते हैं जो:

  • पूरी तरह टीकाकरण नहीं कराए गए

  • बचपन में टीकाकरण अधूरा छोड़ दिया गया

  • वर्षिक बूस्टर मिस हुए

  • शेल्टर या रोड डॉग थे जिनका मेडिकल इतिहास अनिश्चित था

टीका न लगवाना सिनोमोस का सबसे बड़ा जोखिम कारक है।

वे कुत्तों की नस्लें जिनमें सिनोमोस का जोखिम अधिक होता है (तालिका)

(यह तालिका तुम्हारे Hastalık Blog Standardı – Final का पालन करते हुए तैयार की गई है: Breed | Explanation | Risk Level.)

नस्ल

संवेदनशीलता का कारण

जोखिम स्तर

हस्की (Siberian Husky)

ठंडे जलवायु और तनाव से तेजी से कमजोर प्रतिरक्षा; वायरल संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील।

उच्च

जर्मन शेफर्ड (German Shepherd)

तनाव के दौरान प्रतिरक्षा कम होने की प्रवृत्ति; संक्रमण गंभीर रूप ले सकता है।

उच्च

रॉटवाइलर (Rottweiler)

वायरल रोगों के गंभीर रूप विकसित करने की संभावना अधिक।

उच्च

डोबर्मन (Doberman)

कई मामलों में वायरस के प्रति औसत से अधिक संवेदनशीलता देखी गई।

मध्यम

गोल्डन रिट्रीवर (Golden Retriever)

इम्यून-संबंधी समस्याएँ संक्रमण को गंभीर बना सकती हैं।

मध्यम

लैब्राडोर रिट्रीवर (Labrador Retriever)

अधिक सामाजिक संपर्क के कारण संक्रमण का जोखिम बढ़ता है।

मध्यम

पोमेरेनियन (Pomeranian)

छोटी नस्लों में संक्रमण का सिस्टमेटिक प्रभाव अधिक देखा जाता है।

मध्यम

भारतीय देसी / इंडी डॉग (Indian Pariah / Desi)

जीन विविधता अच्छी प्रतिरोधक क्षमता देती है; जोखिम टीकाकरण पर निर्भर।

कम

कांगल / शेफर्ड डॉग्स

स्वाभाविक रूप से मजबूत प्रतिरक्षा; टीका होने पर जोखिम कम।

कम

बीगल (Beagle)

जनसंख्या अध्ययनों में गंभीर मामलों का अनुपात कम।

कम

Köpek Gençlik Hastalığı

कुत्तों में सिनोमोस के उपचार और प्रबंधन की लागत

सिनोमोस एक ऐसी बीमारी है जिसके उपचार में लंबा समय, निरंतर देखभाल और बहु-विभागीय चिकित्सा की आवश्यकता होती है। चूंकि इस वायरस का कोई प्रत्यक्ष एंटीवायरल इलाज नहीं है, इसलिए उपचार मुख्य रूप से समर्थक (supportive) और लक्षणों को नियंत्रित करने वाला होता है। लागत विभिन्न देशों, शहरों, क्लीनिकों और रोग की गंभीरता पर निर्भर करती है।

नीचे भारत (INR) के आधार पर सबसे वास्तविक कीमतों का विस्तृत विश्लेषण दिया गया है। (यह दायरा भारतीय पालतू चिकित्सा बाजार की औसत लागत के अनुसार तैयार किया गया है।)

1. प्रारंभिक परीक्षण और डायग्नोस्टिक लागत

सेवा

अनुमानित लागत (INR)

क्लिनिकल जांच (Consultation)

₹300 – ₹800

सिनोमोस का रैपिड एंटीजन टेस्ट

₹700 – ₹1,500

PCR टेस्ट (Gold Standard)

₹2,000 – ₹4,000

CBC + Biochemistry (खून की रिपोर्ट)

₹800 – ₹1,800

एक्स-रे (छाती)

₹1,000 – ₹2,000

प्रारंभिक परीक्षण अक्सर यह तय करते हैं कि कुत्ता हल्के चरण में है या गंभीर अवस्था में।

2. उपचार और अस्पताल में भर्ती का खर्च

सिनोमोस कई प्रणालियों को एक साथ प्रभावित करता है, इसलिए उपचार बहुस्तरीय होता है:

उपचार

लागत (INR)

IV Fluids (ड्रिप/सलाइन) — प्रति सेशन

₹200 – ₹600

एंटीबायोटिक इंजेक्शन

₹150 – ₹400 प्रति डोज़

दर्द-नियंत्रण + बुखार नियंत्रण

₹150 – ₹350

ऐंटी-एनिमेटिक (उल्टी रोकने वाली दवा)

₹100 – ₹300

प्रोबायोटिक + गैस्ट्रो प्रोटेक्टर

₹150 – ₹400

न्यूरोलॉजिकल मेडिकेशन / एंटी-सीज़र

₹300 – ₹1,000

अस्पताल में भर्ती (Per Day)

₹600 – ₹2,000

ऑक्सीजन थेरेपी (यदि आवश्यक)

₹500 – ₹1,500 प्रति सेशन

गंभीर मामलों में कुत्ते को 7–15 दिनों तक अस्पताल में रखा जा सकता है, जिससे कुल खर्च तेजी से बढ़ जाता है।

3. कुल अनुमानित लागत (Total Estimated Cost)

  • हल्का से मध्यम स्तर: ₹5,000 – ₹12,000

  • मध्यम से गंभीर स्तर: ₹15,000 – ₹30,000

  • गंभीर/न्यूरोलॉजिकल केस: ₹30,000 – ₹70,000+

न्यूरोलॉजिकल मामलों में लागत तेज़ी से बढ़ती है क्योंकि एंटी-सीज़र दवाओं, निरंतर निगरानी और लंबे अस्पताल प्रवास की आवश्यकता होती है।

4. अतिरिक्त छुपी हुई लागतें

  • डिस्पोजेबल मेडिकल सामग्री

  • IV सेट, कैथेटर

  • लैब टेस्ट की पुनरावृत्ति

  • विशेष आहार/रिकवरी डाइट

  • घर पर लंबी अवधि के लिए दवाइयाँ

इन खर्चों को जोड़कर कई मालिकों के लिए कुल लागत ₹10,000 – ₹1,00,000+ तक पहुँच सकती है।

5. रोकथाम की लागत (Vaccination) — सबसे किफायती तरीका

टीका

लागत (INR)

DHPP/DA2PP वैक्सीन

₹400 – ₹1,000

एक बार का वार्षिक बूस्टर खर्चउपचार की तुलना में 20–50 गुना सस्ता है।

यही कारण है कि सिनोमोस की रोकथाम के लिए टीकाकरण सबसे महत्वपूर्ण उपाय है।

कुत्तों में सिनोमोस के शुरुआती और उन्नत लक्षण

सिनोमोस के लक्षण विविध और बहु-स्तरीय होते हैं क्योंकि वायरस एक साथ कई अंगों को प्रभावित करता है। शुरुआत में यह सर्दी जैसी सामान्य बीमारी लगता है, लेकिन धीरे-धीरे यह जीवन-घातक रूप ले सकता है। नीचे चरण अनुसार गहराई से विवरण दिया गया है।

1. शुरुआती श्वसन लक्षण (Early Respiratory Signs)

वायरस सबसे पहले श्वसन मार्ग की कोशिकाओं और लिम्फ नोड्स में बढ़ता है।शुरुआत में कुत्ते में निम्न लक्षण दिखाई देते हैं:

  • पानी जैसा साफ नाक बहना

  • हल्की खांसी

  • आंखों से पानी आना

  • हल्का बुखार

  • सामान्य गतिविधि में कमी

कई मालिक इस चरण को “साधारण सर्दी” समझकर अनदेखा कर देते हैं, जबकि अंदर वायरस तेजी से फैल रहा होता है।

2. उन्नत श्वसन लक्षण (Advanced Respiratory Signs)

जैसे-जैसे रोग आगे बढ़ता है:

  • नाक का स्राव गाढ़ा, चिपचिपा और पीला/हरा हो जाता है

  • गंभीर खांसी विकसित हो सकती है

  • सांस लेने में कठिनाई

  • फेफड़ों में संक्रमण (निमोनिया)

  • सीने में घरघराहट, तेज सांसें

यह वह चरण है जब कुत्ते को अक्सर अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता पड़ती है।

3. पाचन तंत्र के लक्षण (Gastrointestinal Signs)

यदि वायरस पाचन तंत्र पर हमला करता है:

  • उल्टी

  • पानी जैसा या खूनी दस्त

  • खतरनाक स्तर का निर्जलीकरण

  • तेजी से वजन कम होना

  • इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन

विशेष रूप से पिल्लों में, यह स्थिति 24–48 घंटों में जीवन-घातक हो सकती है।

4. तंत्रिका संबंधी लक्षण (Neurological Signs — Most Critical)

यह सिनोमोस का सबसे खतरनाक चरण होता है।जब वायरस मस्तिष्क/रीढ़ में प्रवेश करता है:

  • लगातार मांसपेशियों में झटके (myoclonus)

  • चक्कर या असंतुलन

  • पीछे के पैरों में कमजोरी

  • चलने का नियंत्रण खोना

  • बार-बार होने वाले दौरे

  • लकवा (partial या full paralysis)

  • व्यवहार में अचानक परिवर्तन

यह चरण प्रोग्नोसिस को अत्यंत खराब कर देता है।

5. त्वचा और पंजों के लक्षण (Dermatological Signs)

सिनोमोस के उन्नत मामलों में:

  • पंजों के तलवे मोटे और कठोर हो जाते हैं

  • पैरों में दर्द और चलने में परेशानी

  • नाक की त्वचा सूखी और घनी हो जाती है

इसे “Hard Pad Disease” कहा जाता है और यह अक्सर गंभीर रोग का संकेत है।

6. प्रणालीगत (Systemic) लक्षण

वायरस के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली तेजी से कमजोर होती है:

  • लगातार बुखार

  • थकान, कमजोरी

  • भोजन से अरुचि

  • शरीर की मांसपेशियों का क्षय

  • निर्जलीकरण

  • संक्रमण की संभावना कई गुना बढ़ जाती है

यह चरण दिखाता है कि शरीर वायरस से लड़ते-लड़ते थक चुका है और उसकी सभी ऊर्जाएँ खत्म हो रही हैं।



कुत्तों में सिनोमोस की जांच और निदान के तरीके

सिनोमोस का सही और समय पर निदान उपचार की सफलता का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह बीमारी कई अन्य रोगों जैसी दिख सकती है—जैसे कि केनेल कफ, वायरल गैस्ट्रोएन्टराइटिस, न्यूमोनिया या यहां तक कि फूड पॉइजनिंग। इसलिए पशु चिकित्सक एक चरणबद्ध, गहन और बहु-स्तरीय डायग्नोस्टिक पद्धति अपनाते हैं।

1. क्लिनिकल जांच (Complete Clinical Examination)

सबसे पहले, पशु चिकित्सक कुत्ते के:

  • तापमान

  • नाक और आंखों के स्राव

  • खांसी की तीव्रता

  • सांस लेने के पैटर्न

  • हाइड्रेशन लेवल

  • लसीका ग्रंथियों की सूजन

  • पेट और आंतों की ध्वनि

  • तंत्रिका तंत्र की प्रतिक्रिया

का मूल्यांकन करता है।

यदि कुत्ता टीकाकरण-रहित है, साथ ही खांसी + दस्त + सुस्ती एक साथ मौजूद हैं, तो सिनोमोस का संदेह बहुत बढ़ जाता है।

2. रैपिड एंटीजन टेस्ट (Rapid Antigen Test / Snap Test)

यह एक तेज़ टेस्ट है जो 10–15 मिनट में परिणाम देता है।

उपयोग की जाने वाली नमूने:

  • आंख का स्राव

  • नाक का स्राव

  • खून

  • लार

यह प्राइमरी स्क्रीनिंग के लिए बहुत उपयोगी है, लेकिन:

  • शुरुआती स्टेज में वायरस कम मात्रा में होता है,

  • न्यूरोलॉजिकल स्टेज में वायरस बाहरी स्राव में नहीं मिलता,

इसलिए यह टेस्ट कभी-कभी फॉल्स-नेगेटिव आ सकता है।

3. PCR टेस्ट (Gold-Standard Test)

PCR सिनोमोस की पुष्टि करने का सबसे सटीक परीक्षण है क्योंकि यह वायरस के RNA को पहचानता है।

PCR के लिए नमूने:

  • पूरा रक्त (Whole Blood)

  • नाक या आंख के स्वाब

  • श्वसन स्राव

  • Cerebrospinal Fluid (यदि न्यूरोलॉजिकल लक्षण उपस्थित हों)

PCR द्वारा:

  • शुरुआती स्टेज को पहचाना जा सकता है

  • देर से स्टेज में भी वायरस की पहचान की जा सकती है

  • झूठे-नकारात्मक की संभावना कम होती है

यह टेस्ट लगभग हर गंभीर मामले में अनिवार्य है।

4. CBC और बायोकेमिस्ट्री (Complete Blood Count + Biochemistry)

यह बीमारी प्रतिरक्षा तंत्र को बुरी तरह कमजोर कर देती है, इसलिए खून की रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण बदलाव दिखते हैं:

CBC में:

  • Lymphopenia (लिम्फोसाइट्स कम)

  • Thrombocytopenia (प्लेटलेट्स कम)

  • Mild anemia (कुछ मामलों में)

Biochemistry में:

  • Electrolyte imbalance

  • Dehydration markers

  • Elevated enzymes (यदि जिगर पर प्रभाव पड़े)

इन रिपोर्टों से उपचार योजना निर्धारित होती है।

5. छाती का एक्स-रे (Thoracic X-ray)

यदि कुत्ते में श्वसन लक्षण बढ़े हों:

  • घनी छाया (infiltrates)

  • गाढ़े स्राव से भरी ब्रोंकाई

  • बैक्टीरियल न्यूमोनिया

  • फेफड़ों का आंशिक पतन (Atelectasis)

जैसी स्थितियाँ एक्स-रे में दिखाई देती हैं।

6. न्यूरोलॉजिकल परीक्षा (Neurological Examination)

तंत्रिका संबंधी लक्षणों वाले कुत्तों में:

  • चाल में अस्थिरता

  • सिर का एक ओर झुकना

  • कंपकंपी

  • दौरों की आवृत्ति

  • रिफ्लेक्स प्रतिक्रिया

का परीक्षण किया जाता है।

यह चरण उपचार के प्रोन्गोसिस तय करने में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

7. डिफरेंशियल डायग्नोसिस (Differential Diagnosis)

सिनोमोस की पुष्टि से पहले निम्न रोगों को अलग करना आवश्यक है:

  • Parvovirus enteritis

  • Leptospirosis

  • Kennel cough

  • Bacterial pneumonia

  • Food poisoning

  • Toxicity

  • Viral hepatitis

  • Encephalitis

इसलिए निदान हमेशा संयुक्त परीक्षणों के आधार पर किया जाता है।

कुत्तों में सिनोमोस का उपचार

सिनोमोस का जीवनरक्षक उपचार उसके वायरस को खत्म करने पर आधारित नहीं होता, क्योंकि वायरस के खिलाफ कोई सीधा एंटीवायरल उपलब्ध नहीं है। उपचार का लक्ष्य होता है:

  • शरीर को वायरस से लड़ने में सक्षम रखना

  • लक्षणों को नियंत्रित करना

  • अंगों को फेल होने से बचाना

  • प्रतिरक्षा को सपोर्ट करना

  • न्यूरोलॉजिकल नुकसान को कम करना

उपचार हमेशा स्थिति की गंभीरता पर आधारित होता है।

1. IV Fluid Therapy (इंट्रावेनस फ्लुइड थेरेपी)

यह उपचार का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, खासकर तब जब कुत्ते को उल्टी या दस्त हो रहा हो।

Fluid का उद्देश्य:

  • पानी और इलेक्ट्रोलाइट की कमी पूरी करना

  • रक्तसंचार स्थिर करना

  • शरीर के अंगों को सपोर्ट देना

  • निर्जलीकरण रोकना

द्रवों के प्रकार में शामिल है:

  • Ringer Lactate

  • Normal Saline

  • Dextrose

  • Potassium-supplemented fluids (जाँच के अनुसार)

2. Broad-Spectrum Antibiotics

क्योंकि वायरस प्रतिरक्षा प्रणाली को बहुत कमजोर कर देता है, इसलिए बैक्टीरिया का अटैक बढ़ जाता है:

  • Viral pneumonia → bacterial pneumonia

  • Intestinal infection

  • Sepsis का खतरा

ऐसे में एंटीबायोटिक्स बहुत जरूरी होते हैं:

  • Amoxicillin-clavulanic acid

  • Ceftriaxone

  • Doxycycline (कुछ मामलों में)

3. Anti-vomiting और GI Protectants

उल्टी और दस्त पर नियंत्रण करने के लिए:

  • Ondansetron

  • Maropitant

  • Famotidine

  • Sucralfate

इन्हें देने का उद्देश्य:

  • लगातार उल्टी रोकना

  • पेट और आंतों में जलन कम करना

  • पोषण शुरू कराना आसान बनाना

4. Fever management + Pain control

सिनोमोस में लगातार बुखार रहना शरीर पर गंभीर दबाव डालता है।इसलिए:

  • Anti-inflammatory drugs

  • Temperature Monitoring

  • Dehydration checks

बुखार बहुत अधिक समय तक रहे तो मस्तिष्क पर स्थायी प्रभाव पड़ सकता है।

5. Immune Support Therapy

प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए दिए जाते हैं:

  • Vitamin B complex

  • Vitamin C

  • Omega-3 fatty acids

  • Amino acid supplements

  • Immunostimulants

ये शरीर को वायरस से लड़ने में मदद करते हैं।

6. Nutritional Support

कई कुत्ते बीमारी के दौरान खाना छोड़ देते हैं।

इस स्थिति में:

  • High-calorie diets

  • Liquid nutrition

  • Syringe-feeding

  • Digestible low-fat diets

का उपयोग किया जाता है।

7. Neurological Treatment (सबसे गंभीर चरण)

जब वायरस CNS (मस्तिष्क और रीढ़) में पहुँच जाता है:

  • Anticonvulsants (Diazepam, Levetiracetam, Phenobarbital)

  • Sedatives

  • Muscle relaxants

  • Anti-edema therapy (मस्तिष्क में सूजन कम करने के लिए)

ऐसे मामलों में कई हफ्तों तक उपचार की आवश्यकता हो सकती है और कई बार प्रभाव स्थायी रहते हैं।

8. Oxygen Therapy

यदि:

  • सांस लेने में दिक्कत,

  • निमोनिया,

  • तेज़ खांसी,

हो, तो ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जाता है:

  • Oxygen chamber

  • Oxygen mask

  • Nebulization

9. Isolation & Hygiene

कुत्ते के कमरे को अलग रखना चाहिए,खिलौने व बर्तन अलग रखने चाहिए,सतहों को नियमित रूप से disinfect करना चाहिए।

10. Long-term Recovery

सिनोमोस से उबरने के बाद भी:

  • Muscle twitching

  • Behavioural changes

  • Weakness

  • Mild seizures

जैसी समस्याएँ महीनों तक रह सकती हैं।


कुत्तों में सिनोमोस की जटिलताएँ और प्रोग्नोसिस

सिनोमोस एक बहु-प्रणालीक (multi-systemic) रोग है, जिसका मतलब है कि यह एक साथ कई अंगों पर असर डालता है। जैसे-जैसे वायरस शरीर में फैलता है, रोग की जटिलताएँ गहरी होती जाती हैं। कई मामलों में ये जटिलताएँ पूरी तरह ठीक नहीं होतीं, और जीवनभर चल सकती हैं। प्रोग्नोसिस इस बात पर निर्भर करता है कि वायरस ने शरीर में कितनी गहराई तक घुसपैठ की है — विशेषकर तंत्रिका तंत्र में।

1. श्वसन तंत्र की जटिलताएँ (Respiratory Complications)

सिनोमोस का सबसे आम और खतरनाक प्रभाव फेफड़ों पर होता है।प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने के कारण बैक्टीरिया का संक्रमण तेजी से बढ़ता है, जिससे:

  • गंभीर निमोनिया

  • लगातार खांसी

  • गाढ़ा, मवाद जैसा नाक स्राव

  • सांस लेने में कठिनाई

  • ऑक्सीजन का स्तर गिरना

उपचार में देरी होने पर कुत्ता तीव्र सांस विफलता का शिकार हो सकता है।

2. पाचन तंत्र की जटिलताएँ (Gastrointestinal Complications)

वायरस आंतों के एपिथेलियल सेल्स को नष्ट कर देता है, जिससे:

  • लगातार उल्टी

  • खूनी दस्त

  • खतरनाक निर्जलीकरण

  • इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन

  • शरीर की ऊर्जा भंडार खत्म होना

यह जटिलता मुख्य रूप से पिल्लों में देखने को मिलती है और बहुत कम समय में जानलेवा हो सकती है।

3. तंत्रिका तंत्र की जटिलताएँ (Neurological Complications — सबसे गंभीर)

तंत्रिका तंत्र पर असर पड़ना सिनोमोस का सबसे भयावह चरण होता है।इस चरण में प्रभाव लगभग हमेशा दीर्घकालिक या स्थायी होता है:

  • मांसपेशियों में लगातार झटके (myoclonus)

  • दौरे (seizures)

  • चलने में असंतुलन, लड़खड़ाना

  • पैरों में कमजोरी

  • आंशिक/पूर्ण लकवा

  • व्यक्तित्व और व्यवहार में परिवर्तन

दुर्भाग्य से CNS को हुए नुकसान अक्सर वापस नहीं सुधरते।

4. प्रतिरक्षा प्रणाली का पतन (Immunosuppression)

सिनोमोस तेजी से प्रतिरक्षा प्रणाली को नष्ट करता है, जिससे:

  • सेप्सिस

  • गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण

  • बार-बार बुखार

  • शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता लगभग समाप्त

यह स्थिति रोग को और अधिक गम्भीर तथा घातक बना देती है।

5. आंख और त्वचा संबंधी जटिलताएँ (Ocular & Dermatological Complications)

गंभीर चरणों में:

  • आंखों में गाढ़ा मवाद

  • कॉर्नियल अल्सर

  • आंशिक दृष्टि-हानि

  • पंजों के तलवों का कठोर होना (Hard Pad Disease)

  • नाक का फटना और सूखना

यह रोग की उन्नत अवस्था का संकेत है।

प्रोग्नोसिस (भविष्यवाणी/उपचार परिणाम)

प्रोग्नोसिस निम्न पर निर्भर करता है:

  • रोग किस चरण में पकड़ में आया

  • क्या तंत्रिका तंत्र प्रभावित है

  • कुत्ते की उम्र (पिल्लों में परिणाम अधिक गंभीर)

  • प्रतिरक्षा प्रणाली की स्थिति

  • उपचार कितनी जल्दी शुरू किया गया

सामान्यतः:

  • शुरुआती चरण में पकड़ने पर प्रोग्नोसिस अच्छा

  • पाचन व श्वसन संबंधी गंभीर लक्षणों में प्रोग्नोसिस मध्यम

  • न्यूरोलॉजिकल चरण में प्रोग्नोसिस खराब

  • कई मामलों में स्थायी नुकसान जीवनभर रह सकता है

कुत्तों में सिनोमोस के दौरान घरेलू देखभाल और रोकथाम

सिनोमोस की रिकवरी का बहुत बड़ा हिस्सा घर पर दी जाने वाली देखभाल पर निर्भर करता है। चूंकि यह रोग लंबे समय तक चल सकता है और उतार-चढ़ाव वाले पैटर्न में बढ़ता है, इसलिए घर पर स्थिर वातावरण और सही देखभाल अत्यंत महत्वपूर्ण है।

1. पूरी तरह से आइसोलेशन (Strict Isolation)

सिनोमोस अत्यंत संक्रामक है।बीमार कुत्ते को:

  • बाकी जानवरों से पूरी तरह अलग कमरा

  • अलग खाना-पानी के बर्तन

  • अलग बिस्तर व खिलौने

  • कमरे में अच्छी वेंटिलेशन

की आवश्यकता होती है।

इंसानों को भी कुत्ते को छूने के बाद हाथ धोना चाहिए।

2. हाइड्रेशन और पोषण (Hydration & Nutrition)

उल्टी और दस्त की वजह से पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स तेजी से खत्म हो जाते हैं।इसलिए:

  • हमेशा साफ पानी उपलब्ध रखना

  • इलेक्ट्रोलाइट सॉल्यूशन देना

  • आसानी से पचने वाला खाना देना

  • जरूरत होने पर syringe-feeding

  • रिकवरी डाइट्स का उपयोग

अच्छा पोषण प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है।

3. दैनिक मॉनिटरिंग (Daily Monitoring)

हर दिन यह देखना जरूरी है:

  • बुखार

  • भूख

  • सुस्ती का स्तर

  • दस्त/उल्टी की आवृत्ति

  • सांस की स्थिति

  • न्यूरोलॉजिकल लक्षण (कंपकंपी/दौरे)

किसी भी लक्षण में वृद्धि = तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क।

4. स्वच्छता और डिसइन्फेक्शन (Hygiene & Disinfection)

घर की सफाई संक्रमण नियंत्रण का आधार है:

  • फर्श और सतहों को disinfect करना

  • कुत्ते की चादरें, बिस्तर गर्म पानी में धोना

  • नाक-आंखों का स्राव साफ करना

  • disposable wipes का उपयोग करना

5. तंत्रिका लक्षणों का घर पर प्रबंधन

यदि कुत्ते को झटके या दौरे आते हों:

  • तेज रोशनी से बचाएँ

  • तेज आवाज न हो

  • कुत्ते को गिरने से बचाएँ

  • शरीर को शांत रखें

दौरे बढ़ने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ।

6. मानसिक और पर्यावरणीय स्थिरता

तनाव प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है।

इसलिए:

  • शांत कमरा

  • सीमित मूवमेंट

  • कम विज़िटर्स

  • रूटीन में कम बदलाव

जरूरी है।

7. रोकथाम — सबसे महत्वपूर्ण भाग

सिनोमोस से बचाव का सबसे कारगर तरीका है:

  • 6–8 सप्ताह पर पहला टीका

  • हर 3–4 हफ्ते में बूस्टर (16–18 सप्ताह तक)

  • हर साल का booster dose

  • unvaccinated कुत्तों के संपर्क से बचना

टीकाकरण सिनोमोस की लगभग 100% रोकथाम करता है।


सिनोमोस के मामलों में पालतू मालिक की जिम्मेदारियाँ

सिनोमोस का मुकाबला केवल दवाइयों से नहीं किया जा सकता—इलाज और रिकवरी में पालतू मालिक की भूमिका निर्णायक होती है। बीमारी लंबी चल सकती है, कई बार उतार–चढ़ाव दिखाती है, और हर चरण में सावधानी व अनुशासन की आवश्यकता होती है। पालतू मालिक की सही सहभागिता कुत्ते के जीवित रहने की संभावना कई गुना बढ़ा देती है।

1. टीकाकरण कैलेंडर का पालन करना

सिनोमोस के 90% गंभीर मामले उन कुत्तों में मिलते हैं जिनका:

  • टीकाकरण नहीं हुआ,

  • बचपन का टीकाकरण अधूरा रहा,

  • वार्षिक बूस्टर मिस हुआ,

  • शेल्टर/सड़क से रेस्क्यू किया गया था।

पालतू मालिक को यह सुनिश्चित करना चाहिए:

  • 6–8 सप्ताह पर पहला टीका

  • हर 3–4 सप्ताह पर बूस्टर (16–18 सप्ताह तक)

  • हर वर्ष वैक्सीन का री-बूस्ट

यह जिम्मेदारी निभाना सिनोमोस के खिलाफ सबसे मजबूत सुरक्षा है।

2. संक्रमित कुत्ते का तुरंत आइसोलेशन

सिनोमोस अत्यंत संक्रामक है, इसलिए:

  • कुत्ते को अलग कमरे में रखना

  • बाकी सभी जानवरों से दूर रखना

  • उसके बर्तन, खिलौने, बिस्तर अलग रखना

  • कमरे में अच्छी वेंटिलेशन बनाए रखना

जरूरी है।अगर यह कदम नहीं उठाया गया, तो घर के बाकी सभी कुत्तों में संक्रमण का खतरा अत्यंत ऊँचा होता है।

3. डॉक्टर द्वारा बताए गए उपचार का सख्ती से पालन

सिनोमोस का इलाज लंबे समय तक चल सकता है।

पालतू मालिक को चाहिए कि वह:

  • दवाई समय पर और सही मात्रा में दे

  • इंजेक्शन या ड्रिप की तारीख न चूके

  • उल्टी-दस्त होने पर तुरंत डॉक्टर को बताए

  • आहार व पोषण संबंधी निर्देशों का पालन करे

  • डॉक्टर के follow-up visits में हमेशा जाए

इलाज में ज़रा सी लापरवाही भी बड़ा नुकसान कर सकती है।

4. रोज़ाना कुत्ते की स्थिति की निगरानी

बीमारी के दौरान स्वास्थ्य में तेजी से उतार–चढ़ाव हो सकता है।इसलिए मालिक को यह रोज़ देखना चाहिए:

  • शरीर का तापमान

  • सांस की गुणवत्ता

  • नाक/आंख का स्राव

  • भूख की मात्रा

  • बार-बार उल्टी या दस्त

  • तंत्रिका लक्षण (कंपकंपी/दौरा)

  • सुस्ती या ऊर्जा स्तर

किसी भी बदलाव को डॉक्टर को तुरंत बताना आवश्यक है।

5. घर में स्वच्छता और संक्रमण-नियंत्रण बनाए रखना

सिनोमोस वायरस सतहों पर थोड़े समय तक जीवित रहता है, लेकिन इस अवधि में भी संक्रमण फैल सकता है।

मालिक को चाहिए:

  • कुत्ते के कमरे को disinfect करना

  • बिस्तर व कपड़े गर्म पानी में धोना

  • खाने–पीने के बर्तनों की रोज़ाना सफाई

  • disposable wipes का उपयोग

  • घर आने–जाने के बाद हाथ धोना

6. तनाव कम करना और शांत वातावरण देना

तनाव प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है।कुत्ते की रिकवरी तभी होती है जब उसका मानसिक वातावरण स्थिर हो:

  • तेज शोर न हो

  • अनजान लोगों से बचाना

  • ज़रूरत से ज़्यादा खेलने-भागने से रोकना

  • रोशनी कम रखना

  • आरामदायक तापमान बनाए रखना

यह सब उपचार जितना ही महत्वपूर्ण है।

7. अन्य कुत्तों की सुरक्षा

अगर घर में एक से अधिक कुत्ते हों:

  • उनकी वैक्सीन स्थिति चेक करें

  • बीमार कुत्ते से बिल्कुल अलग रखें

  • साझा बर्तन/खिलौने बिल्कुल न होने दें

  • हर प्रवेश/निकास पर sanitization करें

यह परिवार के बाकी पालतू जानवरों को बचाता है।

8. दीर्घकालिक परिणामों को समझना और तैयार रहना

कई कुत्तों में:

  • मांसपेशी झटके

  • हल्के–मध्यम दौरे

  • चलने में अस्थिरता

  • व्यक्तित्व में बदलाव

रोग के बाद भी महीनों या जीवनभर रह सकते हैं।मालिक को इन स्थितियों के लिए मानसिक और आर्थिक रूप से तैयार रहना चाहिए।

कुत्तों और बिल्लियों में सिनोमोस के बीच अंतर

बहुत से लोग “सिनोमोस” शब्द सुनकर यह मान लेते हैं कि कुत्तों और बिल्लियों में एक ही बीमारी होती है, लेकिन वास्तविकता इसके बिल्कुल उलट है। दोनों प्रजातियाँ जिन रोगों से प्रभावित होती हैं, वे नाम में भले मिलते-जुलते हों, परंतु वायरस, लक्षण, संक्रमण के तरीके और उपचार — सब अलग हैं।

1. दोनों बीमारियों के वायरस अलग हैं

  • कुत्तों में सिनोमोस:Canine Morbillivirus

  • बिल्लियों में “डिस्टेंपर” (Panleukopenia):Feline Parvovirus

इन दोनों के बीच कोई species-cross संक्रमण नहीं होता।

2. लक्षित अंग अलग-अलग होते हैं

कुत्तों में सिनोमोस प्रभावित करता है:

  • फेफड़ों को

  • पाचन तंत्र को

  • प्रतिरक्षा प्रणाली को

  • दिमाग और रीढ़ को

बिल्लियों में panleukopenia प्रभावित करती है:

  • बोन मैरो

  • सफेद रक्त कोशिकाएँ

  • पूरे इम्यून सिस्टम को

3. तंत्रिका लक्षण — कुत्तों में आम, बिल्लियों में दुर्लभ

कुत्तों में सिनोमोस के advanced stage में:

  • दौरे

  • कंपकंपी

  • संतुलन खराब होना

  • लकवा

आम लक्षण हैं।

बिल्लियों में यह बहुत कम होता है।

4. संक्रमण के तरीके अलग

कुत्तों में:

  • मुख्यतः हवा से (Airborne Transmission)

बिल्लियों में:

  • अधिकतर मल-संक्रमण (Fecal-Oral Transmission)

5. वैक्सीन पूरी तरह अलग

  • कुत्तों के लिए: DHPP / DA2PP

  • बिल्लियों के लिए: FVRCP

ये एक-दूसरे के लिए उपयोग नहीं किए जा सकते।

6. रोग की गंभीरता और प्रोग्नोसिस में अंतर

  • कुत्तों में तंत्रिका जटिलताएँ और हार्ड पैड डिज़ीज़ प्रमुख

  • बिल्लियों में तेज़ immunosuppression और septic shock आम

हालाँकि दोनों ही बीमारियाँ बिना टीकाकरण के अत्यंत घातक साबित होती हैं।


FAQ – कुत्तों में सिनोमोस (Canine Distemper)

कुत्तों में सिनोमोस क्या होता है और यह इतना खतरनाक क्यों है?

कुत्तों में सिनोमोस एक बहु-सिस्टम वायरल रोग है जो श्वसन, पाचन, तंत्रिका और प्रतिरक्षा तंत्र को एक साथ प्रभावित करता है। यह खतरनाक इसलिए है क्योंकि वायरस बहुत तेज़ी से बढ़ता है, शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता लगभग समाप्त कर देता है और उन्नत चरण में मस्तिष्क को स्थायी नुकसान पहुँचा सकता है। यह बीमारी विशेष रूप से पिल्लों में जानलेवा होती है।

कुत्तों में सिनोमोस कैसे फैलता है?

सिनोमोस मुख्य रूप से हवा के माध्यम से फैलता है—संक्रमित कुत्ते की छींक, खांसी और सांस में मौजूद वायरस बूंदों से। इसके अलावा, आंख-नाक के स्राव, लार, मूत्र, मल और संक्रमित बर्तनों, खिलौनों या कपड़ों से भी संक्रमण हो सकता है।

सिनोमोस के शुरुआती संकेत क्या होते हैं?

सिनोमोस के शुरुआती लक्षण सर्दी जैसे होते हैं—हल्का बुखार, नाक बहना, आंखों से पानी, हल्की खांसी और भूख कम होना। यही कारण है कि कई पालतू मालिक शुरू में सिनोमोस को पहचान नहीं पाते और निदान देर से होता है।

सिनोमोस उन्नत चरण में कैसे बदल जाता है?

आगे चलकर नाक और आंखों का स्राव गाढ़ा और मवाद जैसा हो जाता है, कुत्ते में गंभीर खांसी, उल्टी, दस्त, निर्जलीकरण और वजन में तेजी से कमी दिखती है। उन्नत चरण में सिनोमोस तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है, जिससे कंपकंपी, दौरे, पीछे के पैरों में कमजोरी और कभी-कभी लकवा भी हो सकता है।

क्या पिल्लों में सिनोमोस अधिक गंभीर होता है?

हाँ। पिल्लों की प्रतिरक्षा प्रणाली पूरी तरह विकसित नहीं होती, और उनका शरीर वायरस के सामने अत्यंत संवेदनशील होता है। पिल्लों में निर्जलीकरण और तंत्रिका जटिलताएँ बहुत तेज़ी से बढ़ती हैं, जिससे मृत्यु का खतरा अधिक होता है।

क्या मनुष्य कुत्तों से सिनोमोस पकड़ सकते हैं?

नहीं। सिनोमोस मनुष्यों में नहीं फैलता, लेकिन मनुष्य अपने कपड़ों, जूतों या हाथों के माध्यम से वायरस को एक कुत्ते से दूसरे तक ले जा सकते हैं। इसलिए स्वच्छता अत्यंत आवश्यक है।

क्या सभी कुत्तों में सिनोमोस के लक्षण एक जैसे होते हैं?

नहीं। यह कई अलग-अलग रूप ले सकता है—श्वसन रूप, पाचन रूप, तंत्रिका रूप या मिश्रित रूप। कुछ कुत्तों में हल्के लक्षण होते हैं जबकि कुछ में गंभीर, life-threatening संकेत दिखाई देते हैं।

सिनोमोस की पुष्टि के लिए कौन-कौन से परीक्षण किए जाते हैं?

सबसे विश्वसनीय परीक्षण PCR है जो वायरस के RNA को पहचानता है। इसके अलावा रैपिड एंटीजन टेस्ट, CBC, बायोकेमिस्ट्री, एक्स-रे और न्यूरोलॉजिकल परीक्षण भी उपयोग किए जाते हैं।

रैपिड टेस्ट नेगेटिव आने पर क्या सिनोमोस को नकारा जा सकता है?

नहीं। रैपिड टेस्ट कई बार शुरुआती चरण में गलत-नकारात्मक आ सकता है। अगर लक्षण मौजूद हों, तो PCR जरूर करवाना चाहिए, जो सिनोमोस की पुष्टि का सबसे सटीक तरीका है।

सिनोमोस का इलाज कैसे किया जाता है?

सिनोमोस का कोई सीधा antiviral इलाज नहीं है। उपचार supportive होता है—IV fluids, एंटीबायोटिक, anti-emetics, GI protectants, immune boosters, ऑक्सीजन सपोर्ट और तंत्रिका लक्षणों के लिए anticonvulsants का उपयोग किया जाता है।

क्या सिनोमोस में अस्पताल में भर्ती करना आवश्यक है?

हल्के मामलों में घर की देखभाल संभव है, लेकिन अगर कुत्ते में निमोनिया, गंभीर उल्टी-दस्त, दौरे, निर्जलीकरण या सांस लेने में कठिनाई हो तो अस्पताल में भर्ती करना अनिवार्य हो जाता है।

सिनोमोस में तंत्रिका लक्षण क्यों आते हैं?

क्योंकि वायरस सीधे central nervous system पर आक्रमण करता है। इससे न्यूरॉन क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, और इसके परिणामस्वरूप कंपकंपी, दौरे, असंतुलन और paralysis जैसे गंभीर लक्षण उभरते हैं।

क्या सिनोमोस के बाद तंत्रिका क्षति स्थायी हो सकती है?

हाँ। कई कुत्ते उपचार के बाद भी हल्के से मध्यम झटके, muscle twitching, संतुलन की समस्या या occasional seizures जीवनभर अनुभव करते हैं।

सिनोमोस से उबरने में कितना समय लगता है?

बीमारी की अवधि 2 से 6 सप्ताह तक होती है। लेकिन तंत्रिका प्रभावित होने पर recovery कई महीनों तक चल सकती है, और कभी-कभी पूर्ण recovery संभव नहीं हो पाती।

क्या सभी कुत्ते सिनोमोस से मर जाते हैं?

नहीं। यदि बीमारी को शुरुआती चरण में पहचानकर उपचार शुरू कर दिया जाए, तो recovery की संभावना अच्छी होती है। लेकिन न्यूरोलॉजिकल मामलों में mortality rate काफी अधिक होती है।

क्या सिनोमोस और पार्वो एक ही बीमारी है?

नहीं। पार्वो मुख्य रूप से आंतों को प्रभावित करता है और गंभीर खूनी दस्त देता है। सिनोमोस कई प्रणालियों पर एक साथ हमला करता है और विशेष रूप से तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। PCR दोनों को स्पष्ट रूप से अलग कर देता है।

सिनोमोस में आंखों और नाक से मवाद क्यों आता है?

क्योंकि वायरस श्वसन और ओक्यूलर epithelium को संक्रमित करता है, जिससे secondary infections हो जाती हैं। परिणामस्वरूप thick purulent discharge दिखने लगता है।

क्या घर में सिनोमोस की देखभाल सुरक्षित है?

हाँ, यदि isolation, hygiene और डॉक्टर के निर्देशों का पालन किया जाए। लेकिन गंभीर मामलों में अस्पताल की आवश्यकता होती है, विशेषकर जब कुत्ता खाना नहीं खा रहा हो या तंत्रिका लक्षण बार-बार उभर रहे हों।

क्या सिनोमोस में ऑक्सीजन सपोर्ट महत्वपूर्ण है?

हां। अगर निमोनिया या श्वसन कष्ट बढ़ जाए, तो oxygen therapy जीवनरक्षक साबित होती है। यह फेफड़ों पर दबाव कम करता है और recovery को तेज करता है।

क्या कुत्तों को सिनोमोस के बाद behavioural changes हो सकते हैं?

हाँ। अनेक कुत्तों में anxiety, depression, irritability, confusion और responsiveness कम होना जैसा व्यवहार परिवर्तन देखा गया है, विशेषकर यदि CNS प्रभावित हुआ हो।

क्या सिनोमोस से उबरने के बाद दोबारा संक्रमण हो सकता है?

व्यावहारिक रूप से नहीं। एक बार संक्रमण के बाद शरीर long-term immunity विकसित कर लेता है। लेकिन न्यूरोलॉजिकल लक्षण स्थायी रह सकते हैं।

क्या सिनोमोस अन्य पालतू जानवरों को भी संक्रमित कर सकता है?

कुत्तों को संक्रमित करता है, लेकिन बिल्लियों, खरगोशों या मनुष्यों को नहीं। हालांकि अन्य कुत्ते संक्रमित हो सकते हैं, इसलिए sick dog का isolation बहुत महत्वपूर्ण है।

क्या टीका लगवाने से सिनोमोस 100% रोका जा सकता है?

लगभग हाँ। DHPP/DA2PP वैक्सीन अत्यंत प्रभावी है और नियमित booster doses के साथ सिनोमोस का जोखिम लगभग समाप्त हो जाता है।

क्या सिनोमोस से बचने के लिए पिल्लों को बाहर ले जाना सुरक्षित है?

जब तक पूरा वैक्सीन कोर्स (16–18 सप्ताह) पूरा न हो जाए, पिल्लों को unvaccinated कुत्तों या भीड़भाड़ वाले स्थानों से दूर रखना चाहिए।

पालतू मालिक सिनोमोस की रोकथाम में क्या भूमिका निभा सकता है?

नियमित टीकाकरण, स्वस्थ डाइट, स्वच्छता, बीमार कुत्तों से दूरी, भीड़भाड़ वाले स्थानों से बचाव और शुरुआती लक्षण दिखते ही vet visit—ये सभी उपाय सिनोमोस की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


Sources

  • World Small Animal Veterinary Association (WSAVA) – Vaccination Guidelines

  • American Veterinary Medical Association (AVMA) – Infectious Disease Information

  • Centers for Disease Control and Prevention (CDC) – Canine Viral Diseases

  • American Animal Hospital Association (AAHA) – Infectious Disease Protocols

  • Mersin Vetlife Veterinary Clinic – https://share.google/XPP6L1V6c1EnGP3Oc

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